आजादी!!!
कोई जात के नाम पे काटता है,
कोई धरम के नाम पे काटता है,
कोई विचारधारा के नाम पे बाटता है,
कोई खुली सोच को ही छाटता है।
दाम लगा लो, बिकवाते आए है,
झुकाने वाले से झुकवाते आए है,
बरसो से माथे पे लिखवाते आए है,
हमे बाटने वालो से बस कटवाते आए है।
साम दाम दंड भेद से इकट्ठा करा लो,
किसी कौम के नाम से जरासा डरा लो,
हाथ मे कोई भी झंडा थमा दो,
फिर आसानी से राजनीति में अपना डेरा जमा लो।
बेवकूफ, बिकाऊ, डरपोक होंगे तो गम है,
जो भी हो इसके जिम्मेदार तो हम है,
माना हममे समझदारी थोडी कम है,
पर स्वतंत्र नागरिक होनेके दावे मे तो दम है।
अन्ग्रेजो वाली राजनीती करने मे लीन हो,
तो अपने भी अब आखरी दिन गिन लो,
वो आजादी ही क्या, जो अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के बिन हो,
मेरी आजादी तो मुझसे मत छिन लो!!!
:- मोहित केळकर